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Friday 24 November 2017

भारतीय इंकलाबी मार्कसवादी पार्टी (आर. एम. पी. आई.) का प्रोगराम सर्वसम्मति से स्वीकृत


शहीद भगत सिंह नगर ( चंडीगढ़), 24 नवंबर : आर. एम. पी. आई. दा मुख्य मकसद लोक जन-तांत्रिक इंकलाब के द्वारा जाति, वर्ग और लैंगिक भेदभाव से रहित एक सैकूलर समाज की सृजन करना है, जिस के लिए एक बेहद मजबूत माक्र्सवाद-लेनिनवाद से प्रेरणा लेकर चलने वाली क्रांतिकारी पार्टी की ज़रूरत है और आर. एम. पी. आई. इस ऐतिहासिक जिम्मेवारी को निभाने के लिए पूरी ताकत लगाऐगी। यह बात भारतीय इंकलाबी मार्कसवादी पार्टी ( आर. एम. पी. आई.) का प्रथम सर्व भारतीय सम्मेलन की तरफ से सर्वसम्मति से स्वीकृत किये गए पार्टी प्रोगराम में कही गई है। 
 बुद्धवार से शुरू हुए इस सम्मेलन के दूसरे दिन स्वीकृत किये गए इस पार्टी प्रोगराम का पांडुलिपि, जो पहले ही विचार-विर्मश के लिए पार्टी इकाईयों में भेज दिया गया था को पार्टी केंद्रीय समिति के मैंबर कामरेड हरकंवल सिंह की तरफ से पहले दिन बाद दोपहर पेश किया गया था जिस पर हुई ज्वलंत और रचनात्मिक बहस में 21  डैलीगेटों ने हिस्सा लिया।  पास किये गए कार्यक्रम में यह बात नोट की गई है कि लोक जन-तांत्रिक इंकलाब के निशानों की प्राप्ति का संघर्ष बहुत ही जटिल और लम्बा है जो सभी देश भक्त और जन-तांत्रिक ताकतों की इंकलाबी एकता के द्वारा हासिल किया जा सकता है और जिस का मुख्य केंद्र बिंदु मजदूर- किसान होगा। पास किए गए प्रोग्राम के अनुसार मौजूदा दौर में इजारेदार पूंजीपतियों और रजवाड़ों को छोडक़र बाकी सभी वर्ग साम्रज्यवादी लूट का शिकार हैं और इस इन समस्त वर्गों की एकता आगे की तरफ सामाजिक तबदीली का मुख्य आधार होगी। इस लूट से सदैव मुक्ति के लिए लड़े जाने वाले संग्रामों की जीत की गारंटी के लिए आर. एम. पी. आई. सभी वाम, जन-तांत्रिक, देश भगत और प्रगतिशील शक्तियों पर आधारित विशाल मोर्चो के निर्माण के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। इस प्रोगराम में यह बात नोट की गई है कि संसदीय मोर्चे पर संघर्षों को बेशक रद्द नहीं किया जा सकता परन्तु इस मकसद के लिए गैर-संसदीय संग्रामों की अनदेखी करना एक भयंकर भूल होगी जिसको किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जा सकता। 
 पास किए गए कार्यक्रम में यह बात विशेष तौर पर नोट की गई है कि मजदूर वर्ग की असरदार, एकजुट और राजनैतिक तौर पर तीखे रूप में कार्यशील लहर की अनुपस्थिति के चलते, पूँजीवादी राज सत्ता की भयानक लूट के खिलाफ नित्य उग्र हो रहे रोष एवं बेचैनी क लाभ लेते हुए विश्व और भारत में सांप्रदायिक और इंकलाब विरोधी ताकतों ने अपना आधार मजबूत कर लिया है। ऐसी ही एक प्रतिक्रियावादी शक्ति संघ परिवार की औलाद भाजपा आज भारत के शासन पर काबिज है। संघ की फाशीवादी विचारधारा पर चलने वाली यह केंद्र और कई राज्यों में सत्ता कब्जाने में कामयाब हो चुकी है। इस पार्टी और संघ परिवार के दूसरे संगठनों के पैरोकारों की तरफ से अल्पसंख्यकों, दलितों और महिलाओं पर घृणित हिंसक हमलें किए जा रहे हैं जिससे इन वर्गों में असुरक्षा की तीव्र भावना व्यापत है। यह रूझान न केवल मजदूर वर्ग के लिए नुक्सानदेह है बल्कि अंतरराष्ट्र्रीय स्तर पर कट्टड़पंथियें के उभार के चलते देश की एकता और अखंडता के साथ  ही आम लोगों की सलामती के लिए भी गंभीर खतरा है। वामपंथ में संशोधनवादी तथा वामअतिवादी भटकावों से बचने पर जोर देते हुए पार्टी प्रोग्राम में कहा गया है कि जनतंत्र तथा सैकूलरिज़म एक दूसरे से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। लोगों में एकजुटता पैदा एवं मजबूत करने के लिए दोनों की बराबर अहमीयत है। इस प्रोगराम में अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं तथा आदिवासियों कि खिलाफ हो रहे बर्बर उत्पीडऩ के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उभारा गया है तथा इसे भविष्य के प्राथमिक कार्यं के तौर पर रेखांकित किया गया है। दलितों पर अत्याचारों के संस्थागत रूप धारण कर जाने पर गहरी चिंता का प्रकटावा करते हुए प्रोगराम में यह बात पूरे जोर से कही गई कि इस घृणित जबर ने मानवता को भी शर्मसार करके रख दिया है। इस कार्यक्रम में भविष्य के प्रति आशा प्रकट करते हुए इस तथ्य पर जोर दिया गया है कि विश्व एवं भारत की भूमि बाँझ नहीं हुई। लोग संग्राम एवं संग्रामी नेतृत्व उभरेंगे और मेहनतकशों के पक्ष में प्रगतिवादी समाजिक परिवर्तन अवश्यंभावी है।

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