Arise, awake and organize to strive for the establishment of a classless, castles and gender discrimination free secular society. ਜਾਗੋ! ਜਥੇਬੰਦ ਹੋਵੇ!! ਜਮਾਤ ਰਹਿਤ, ਜਾਤ ਰਹਿਤ ਤੇ ਨਾਰੀ ਮੁਕਤੀ ਵੱਲ ਸੇਧਤ ਸੈਕੂਲਰ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰੋ!!!

Thursday 23 November 2017

क्रांतिकारी हर्षोउल्लास के साथ आरंभ हुआ आर. एम. पी. आई का प्रथम चार दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन




शहीद- ए- आज़म भगत सिंह नगर ( चंडीगढ़) 23 नवंबर - भारतीय क्रांतिकारी मार्कसवादी पार्टी (आर. एम. पी. आई) का प्रथम चार दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन यहाँ क्रांतिकारी हर्षोउल्लास के साथ आरंभ हुआ। इस उद्देश्य के लिए मक्खन शाह लुबाना कंप्लैक्स को शहीद-ए- आज़म भगत सिंह नगर का नाम दिया गया है।। अलग-अलग क्रांतिकारी नेताओं एवं प्रगतिवादी आंदोलनों के मुखियों के कथनों वाले फलैकसें के साथ सजा पूरा कंप्लैक्स एक अलग ही दृश्य पेश कर रहा था। सर्वसाथी के एस हरिहरन, रमेश ठाकर, के. गंगाधरण, रतन सिंह रंधावा एवं तेजिंदर सिंह थिंद पर आधारित अध्यक्ष मंडल के नेतृत्व में  हो रहे इस सम्मेलन के उद्घाटनी भाषण में पार्टी  महासचिव कामरेड मंगत राम पासला ने कहा कि आरएमपीआई का यह ऐतिहासिक सम्मेलन उस समय हो रहा है जब विश्व स्तर पर पूँजीवाद का संकट, जो 2008 की आखिरी तिमाही से शुरू हुआ था, और गहरा हो गया है। इस संकट से कोई भी देश अछूता नहीं रहा।। विश्व भर के लोगों का जीवन स्तर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस संकट को हल करने के सभी प्रयत्न असफल सिद्ध हुए हैं। साम्राज्यवादी ताकतों की तरफ से इस संकट का बोझ मज़दूर वर्ग पर डाला जा रहा है। विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों के कुदरती संसाधनों की अंधाधुंध लूट की जा रही है और पूरी दुनिया को जंग का माहौल बना कर दहशतजदा किया जा रहा है।। देश के हालात का वर्णन करते हुए कामरेड पासला ने कहा कि भारत भी एक बेहद चिंताजनक दौर से गुजऱ रहा है। मोदी के नेतृत्व में   सांप्रदायिक-फाशीवादी ताकतें राज सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद देश के सैक्यूलर और लोकतांत्रिक ताने-बाने को तबाह करके धर्म आधारित राज्य स्थापित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहीं। उन की तरफ से लागू की जा रही साम्राज्यवाद निर्देशत नीतियों के कारण महँगाई, बेरोजग़ारी और भुखमरी में दिनों-ब-दिन विस्तार हो रहा है। कुल घरेलू उत्पादन ( जीडीपी) में वृद्धि के फऱेबी दावों के उलट देश की अर्थ व्यवस्था बुरे दौर से गुजऱ रही है, जिस कारण बेरुजग़ारों की कतारें और ज्यादा लम्बी हो रही हैं। नोटबन्दी और जीऐस्स्टी के अच्छे नतीजों के दावे झूठे साबित हुए हैं। इससे धन कुबेरों को अपना धन सफ़ेद करने में मदद मिली है और कॉर्पोरेट जगत के मुनाफों में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। संघ परिवार का सांप्रदायिक एजेंडा नंगे सफ़ेद रूप में सामने आ गया है। अल्पसंख्यकों, दलितों, औरतों और जन-जातियों पर हमलों में तेज़ी आई है। सांप्रदायिक मुद्दे उभार कर अंधराष्ट्रवाद फैला कर विरोध की आवाज़ों को कुचला जा रहा है। विरोधी और वैज्ञानिक विचारधारा वाले बुद्धिजीवियों, लेखकों और पत्रकारों पर कातिलाना हमले करके उन की ज़ुबान बंद करने के लिए दहशत वाला माहौल पैदा किया जा रहा है। इस तरह देश का माहौल बहुत ही चिंताजनक है जिस कारण आम लोगों में भी बेचैनी पाई जा रही है। कामरेड पासला ने कहा कि इस हालात में आरएमपीआई वामपंथी ताकतों को एकजुट करके सांप्रदायिक-फाशीवादी हमले और लोग विरोधी नव-उदारवादी नीतियों का रास्ता रोकने के लिए अपना पूरा बल लगाऐगी। इस अवसर पर सवागत समिति के चेयरमैन श्री गुलजार सिंह संधू ने देश के अलग- अलग कोनों से आए डैलीगेटों को शुभ आगमन कहा और आशा की कि आरएमपीआई का यह प्रथम सम्मेलन देश की राजनीति की धारा  ‘भाई लालोओं’ की तरफ मोडऩे वाले एक युग पलटाऊ दौर का शुभआरंभ साबित होगा।। इस से पहले इस अखिल भारतीय सम्मेलन का आरंभ कामरेड के.के. रेमा द्वारा क्रांतिकारी नारों की गूँज में लाल परचम लहराने के साथ हुआ। इस मौके पर रैड आर्टस की ओर से झंडे का गीत पेश किया गया। बाद में देश के  केरला, तामिलनाडू, पंजाब, महाराष्ट्र, यू.पी., हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, चंड़ीगढ़, बंगाल, बिहार, दादर नागर हवेली, गुजरात प्रांतों से आए डैलीगेटों ने शहीद स्तंभ पर फूल अर्पित करके साम्यवादी आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट की। सम्मेलन में पास एक प्रस्ताव द्वारा देश और विदेश में पूँजीवादी और साम्राज्यवादी ताकतों के वहिशीयाना हमलों के विरुद्ध लड़ाई में प्राणों की आहुति देने वाले नरिन्दर दाभोलकर, गोबिंद पनसारे, एमएम कलबुरगी एवं गौरी लंकेश जैसे नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को श्रद्धाँजलि भेंट की गई। एक अलग प्रस्ताव द्वारा देश भर के दिवंगत पार्टी, और वामपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं की याद में शोक व्यक्त किया गया।  सम्मेलन ने एक और प्रस्ताव के द्वारा सरकारों की घोर अनदेखी के चलते गोरखपुर (यूपी), महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य प्रांतों में मारे गए अनेकों बच्चों की मौत पर गहरे दुख प्रकट किया गया। कजऱ्े के चलते खेत मज़दूर और किसानों की आत्महत्याएँ में वृद्धि और बेहतर सडक़ सुरक्षा की अनुपस्थिति में मासूम लोगों की दुर्घटनाओं में हो रही मौतों तथा विगत दिनों लुधियाना में एक फैकट्री में मारे गए लोगों के प्रति भी गहरा दुख प्रकट किया गया। इस के बाद अगले सैशन में पार्टी की तरफ से स्वीकृत किये जाने वाले कार्यक्रम पर गहन विचार-विमर्श होगा।

No comments:

Post a Comment