जालंधर, 17 सितंबर - रैवोल्यूशनरी माक्र्ससिस्ट पार्टी आफ इंडिया के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी के गठन का एलान आज यहां इसके स्थापना सम्मेलन में किया गया। सी.पी.एम.पंजाब के सचिव मंगत राम पासला द्वारा बुलाया गया यह स्थापना सम्मेलन देश भक्त यादगार कम्पलैक्स जालंधर के विष्णु गणेश पिंगले हाल में सर्वसाथी रघबीर सिंह (पंजाब), एन.वेणू (केरल), के. गंगाधरन (तामिलनाडू), राजिंदर परांजपे (महाराष्ट्रा), तेजिंदर सिंह थिंद (हरियाणा), कुलदीप सिंह (हिमाचल प्रदेश) एवं इद्रजीत सिंह ग्रेवाल (चंडीगढ़) पर आधारित अध्यक्ष मंडल की अध्यक्षता में किया गया।
पंजाब के समस्त जिलों से आए प्रतिनिधियों के अतिरिक्त तामिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा केंद्रीय शासित प्रदेश चंडीगढ़ से आये प्रतिनिधियों ने भी इस स्थापना सम्मेलन में भाग लिया। यह पार्टी माक्र्सवादी-लैनिनवादी दर्शन व सिद्धांतों पर चलेगी तथा मौजूदा भारतीय समाज को बदल कर हर तरह के सामाजिक, नस्ली, लैंगिक उत्पीडऩ तथा भेदभाव से रहित, वर्ग रहित तथा जाति-पाति से मुक्त समाज के निर्माण के लिए प्रयत्न करेगी।
इस स्थापना सम्मेलन ने पार्टी के संविधान को पारित करते हुए एक 23 सदस्यीय केंद्रीय टीम का चुनाव भी किया जिसमें मंगत राम पासला, हरकंवल सिंह, रघबीर सिंह, गुरनाम सिंह दाऊद (पंजाब), एन. वेणू, टी.एल. संतोष, के.एस. हरिहरण, के.के. रेमा (केरला), के.गंगादरन, एम.राजागोपाल, सी.चेलासामी, पी.अमावसाए (तामिलनाडू), राजिंदर परांजपे, संजोयत राऊत, रमेश ठाकुर (महाराष्ट्रा), तेजिंदर सिंह थिंद, मनदीप रतिया (हरियाणा), इंद्रजीत सिंह ग्रेवाल (चंडीगढ़) एवं सुदर्शन कुमार (हिमाचल प्रदेश) शामिल हैं। चार सीटें आंध्रा प्रदेश, पच्छमी बंगाल एवं दिल्ली के लिए खाली रखी गई हैं। कामरेड मंगत राम पासला को इस कमेटी का महासचिव चुना गया। स्थापना सम्मेलन ने एक प्रस्ताव पारित करके पार्टी को तुरंत भारतीय चुनाव आयोग के पास पंजीकृत करवाने का निर्णय भी लिया।
सम्मेलन ने राजनीतिक दृष्टिकोण संबंधी एक दस्तावेज को स्वीकृत किया जिसमें देश तथा इसके जनसमूहों के समक्ष खड़ी भिन्न भिन्न समस्याओं को रेखांकित किया गया है। स्थापना सम्मेलन ने एक प्रस्ताव पारित करके ऐलान किया कि पार्टी मेहनतकशों के समस्त भागों को लामबंद करने का भरसक प्रयत्न करेगी, ताकि नवउदारवादी नीतियों तथा सांप्रदायिक शक्तियों का डट कर विरोध किया जाए, नित्य उपयोग की वस्तुओं तथा जन उपयोगी सेवाओं की कीमतों में हो रही बढ़ौत्तरी को रोकने के लिए सरकार पर अधिक से अधिक दबाव बनाया जाए, भ्रष्टाचार व बदइंतजामी पर काबू पाया जाए, बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करवाए जाएं, जातिवादी उत्पीडऩ तथा अल्प संख्यकों, दलितों, औरतों तथा आदिवासियों पर हो रहे हर तरह के अत्याचारों तथा जनवादी अधिकारों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए विशाल लामबंदी की जाए, अपने देश के मामलों में साम्राज्यवादियों के बढ़ रहे दखल के विरुद्ध जनसमूहों को जागरूक किया जाए तथा उभारा जाए, देश की एकता-अखंडता की रक्षा की जाए तथा संघीय ढांचे को कमजोर बनाने का विरोध किया जाए, पर्यावरण की की जा रही अंधाधुंध तबाही पर लगाम लगाई जाए तथा सर्वहारा-अंतर्राष्ट्रीयवाद को मजबूत किया जाए।
पंजाब के समस्त जिलों से आए प्रतिनिधियों के अतिरिक्त तामिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा केंद्रीय शासित प्रदेश चंडीगढ़ से आये प्रतिनिधियों ने भी इस स्थापना सम्मेलन में भाग लिया। यह पार्टी माक्र्सवादी-लैनिनवादी दर्शन व सिद्धांतों पर चलेगी तथा मौजूदा भारतीय समाज को बदल कर हर तरह के सामाजिक, नस्ली, लैंगिक उत्पीडऩ तथा भेदभाव से रहित, वर्ग रहित तथा जाति-पाति से मुक्त समाज के निर्माण के लिए प्रयत्न करेगी।
इस स्थापना सम्मेलन ने पार्टी के संविधान को पारित करते हुए एक 23 सदस्यीय केंद्रीय टीम का चुनाव भी किया जिसमें मंगत राम पासला, हरकंवल सिंह, रघबीर सिंह, गुरनाम सिंह दाऊद (पंजाब), एन. वेणू, टी.एल. संतोष, के.एस. हरिहरण, के.के. रेमा (केरला), के.गंगादरन, एम.राजागोपाल, सी.चेलासामी, पी.अमावसाए (तामिलनाडू), राजिंदर परांजपे, संजोयत राऊत, रमेश ठाकुर (महाराष्ट्रा), तेजिंदर सिंह थिंद, मनदीप रतिया (हरियाणा), इंद्रजीत सिंह ग्रेवाल (चंडीगढ़) एवं सुदर्शन कुमार (हिमाचल प्रदेश) शामिल हैं। चार सीटें आंध्रा प्रदेश, पच्छमी बंगाल एवं दिल्ली के लिए खाली रखी गई हैं। कामरेड मंगत राम पासला को इस कमेटी का महासचिव चुना गया। स्थापना सम्मेलन ने एक प्रस्ताव पारित करके पार्टी को तुरंत भारतीय चुनाव आयोग के पास पंजीकृत करवाने का निर्णय भी लिया।
सम्मेलन ने राजनीतिक दृष्टिकोण संबंधी एक दस्तावेज को स्वीकृत किया जिसमें देश तथा इसके जनसमूहों के समक्ष खड़ी भिन्न भिन्न समस्याओं को रेखांकित किया गया है। स्थापना सम्मेलन ने एक प्रस्ताव पारित करके ऐलान किया कि पार्टी मेहनतकशों के समस्त भागों को लामबंद करने का भरसक प्रयत्न करेगी, ताकि नवउदारवादी नीतियों तथा सांप्रदायिक शक्तियों का डट कर विरोध किया जाए, नित्य उपयोग की वस्तुओं तथा जन उपयोगी सेवाओं की कीमतों में हो रही बढ़ौत्तरी को रोकने के लिए सरकार पर अधिक से अधिक दबाव बनाया जाए, भ्रष्टाचार व बदइंतजामी पर काबू पाया जाए, बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करवाए जाएं, जातिवादी उत्पीडऩ तथा अल्प संख्यकों, दलितों, औरतों तथा आदिवासियों पर हो रहे हर तरह के अत्याचारों तथा जनवादी अधिकारों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए विशाल लामबंदी की जाए, अपने देश के मामलों में साम्राज्यवादियों के बढ़ रहे दखल के विरुद्ध जनसमूहों को जागरूक किया जाए तथा उभारा जाए, देश की एकता-अखंडता की रक्षा की जाए तथा संघीय ढांचे को कमजोर बनाने का विरोध किया जाए, पर्यावरण की की जा रही अंधाधुंध तबाही पर लगाम लगाई जाए तथा सर्वहारा-अंतर्राष्ट्रीयवाद को मजबूत किया जाए।
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